July 05, 2023


SCO समिट में जिनपिंग ने नए ‘शीत युद्ध' के खतरे से किया आगाह

बीजिंग: चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने क्षेत्र में एक नया ‘शीत युद्ध' भड़काने के बाहरी प्रयासों के खिलाफ मंगलवार को आगाह किया तथा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट कार्रवाई के साथ क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई SCO के शासनाध्यक्षों की परिषद की 23वीं बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जिनपिंग ने सदस्य देशों से एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं का ‘‘वास्तव में सम्मान'' करने का आग्रह किया।


अमेरिका की परोक्ष रूप से आलोचना करते हुए शी ने आधिपत्यवाद और ‘ताकत की राजनीति' का विरोध करने और वैश्विक शासन व्यवस्था को निष्पक्ष तथा अधिक न्यायसंगत बनाने का भी आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें अपने क्षेत्र के समग्र और दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखना चाहिए और अपनी विदेश नीतियां स्वतंत्र रूप से बनानी चाहिए। हमें अपने क्षेत्र में एक नए शीत युद्ध या गुटबंदी-आधारित टकराव को बढ़ावा देने के बाहरी प्रयासों के खिलाफ अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए।'' बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी सहित अन्य शामिल हुए। अमेरिका के साथ चीन के तनाव भरे संबंधों के बीच शी ने कहा, ‘‘हमें अपने आंतरिक मामलों में किसी भी हस्तक्षेप और किसी भी बहाने से किसी भी देश द्वारा प्रदर्शन को उकसावे को दृढ़ता से अस्वीकार करना चाहिए। हमारे विकास का भविष्य मजबूती से हमारे ही हाथों में होना चाहिए।''


उन्होंने बहुपक्षीयता को बरकरार रखने और वैश्विक प्रशासन को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने के महत्व को रेखांकित किया। शी ने क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा एससीओ देशों के बीच आदान प्रदान एवं लोगों के बीच सम्पर्क बढ़ाने के लिए प्रयास करने पर भी जोर दिया। राष्ट्रपति ने कहा कि चीन बातचीत और परामर्श के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय विवादों के निपटारे को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा प्रस्तावित वैश्विक सुरक्षा पहल (GSI) को लागू करने के लिए सभी पक्षों के साथ काम करने को तैयार है। शी ने यह भी कहा, ‘‘हमें अपने कानून प्रवर्तन और सुरक्षा सहयोग के लिए तंत्र को मजबूत करने तथा डिजिटल, जैविक और बाहरी अंतरिक्ष सुरक्षा सहित गैर-पारंपरिक सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के लिए तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।''

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